बांस की खेती कैसे करें, कब करें, जानकारी, बिज़नेस, सही समय, लागत, लाभ, लाइसेंस, मार्केटिंग (Bamboo Farming Business in Hindi Plan, Time, Location, investment, Profitable, Benefit, Profit, License, Marketing, Time)
आज के समय में कृषि कार्य सिर्फ किसानों के पेट पालने का जरिया नहीं है, बल्कि कृषि बिज़नस कर अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है। आजकल किसान परंपरागत खेती जैसे धान, गेहूं और मक्का आदि उगाना छोड़कर मुनाफे वाली फसल उगाते हैं।
अगर आप भी कृषि कार्य में रूचि रखते हैं और मुनाफेदार कृषि बिजनस की तलाश में हैं तो आज हम हरा सोना (बांस) खेती के बारे में बता रहें हैं। बांस को एकबार लगाने पर अगले 40 सालों तक उत्पादन लिया जा सकता है। इसे आप Long term Investment भी कह सकते हैं। देश में 20 लाख से अधिक कारीगर बांस के विभिन्न उत्पाद बनाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं। भारत में बांस की भारी मांग है। आइये बांस खेती बिज़नेस के बारे में सम्पूर्ण जानकारी हासिल करें।
बांस की खेती का बिजनेस क्या है (Bamboo Farming Business in Hindi)
बांस से बने सजावटी सामान, फर्नीचर, कागज, कप प्लेट, टूथब्रश, की बाजार में भारी डिमांड है।भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बांस उत्पादक देश है। यहाँ बांस की 125 देशी और 11 विदेशी प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
भारत में कुल बांस उत्पादन क्षेत्र 16 मिलियन हेक्टेयर है और वार्षिक बांस उत्पादन क्षमता 3.23 मिलियन टन है। यूँ तो बांस भारत के लगभग हर इलाके में पाया जाता है। लेकिन इसके कुल उत्पादन क्षेत्र का 40 प्रतिशत हिस्सा मध्यप्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, महाराष्ट्र,उड़ीसा और असम में है।
विभिन्न त्योहारों और अवसरों पर बांस का प्रयोग किया जाता है। Bamboo shoots का आचार और मुरब्बा लोगों को बहुत पसंद है। एसे में बांस की बढती डिमांड को पूरा करने के लिए व्यापारिक उदेश्य से बांस की खेती करने को ही बांस की खेती का बिजनेस कहते हैं।
बांस हमारे जीवन के लिए महत्वपूर्ण है। जन्म से लेकर मृत्यु तक बांस की उपयोगिता रहती है। बांस को हजारों तरीके से उपयोग किया जाता है। रोटी कपडा और मकान तीनो में इसका उपयोग है। बांस का बीज जौ की तरह होता है। इसके अलावा बांस के कोमल तनों का सब्जि बनाकर खाते हैं।
बांस का उपयोग नयी ज़माने की मॉडर्न इमारतों,दफ्तरों, प्रीमियम फर्नीचर, बैम्बू फैब्रिक, भवन निर्माण में, झोपड़ी या छप्पर बनाने में प्रयोग करते हैं। बांस से सीढी बनाते हैं। बहुत सारे हैंडीक्राफ्ट बनाने में, चटाई पंखा इत्यादि बनाने में, पेपर बनाने में बांस का उपयोग किया जाता है। साथ ही बांस का उपयोग बायो फ्यूल बनाने में भी हो रहा है। जो कि पेट्रोलियम का बेहतरीन विकल्प है।इसलिए बांस को हरा सोना कहते हैं।
पिछले कुछ समय से देखें तो बांस के पौधे धीरे धीरे कम हुए हैं। बांस के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ है। पहले हर गांव में बांस से बने घर होते थे अब धीरे धीरे ऐसी स्थिति आ गई है कि बहुत से गांवों में एक बांस भी मिलना मुश्किल है। मांग बढती जा रही है, आपूर्ति कम हो रही है इस कारण बहुत सारे बांस आधारित उद्योग को कच्चा माल नहीं मिल पा रहा है।
बांस को एक स्वच्छ, स्थाई और टिकाऊ विकल्प के रूप में बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने इंडियन फारेस्ट एक्ट में संसोधन करके गैर वन क्षेत्रों में उगाये जाने बांस को पेड़ की श्रेणी से हटा दिया, जिससे अब किसान इसे आसानी से अपनी कृषि भूमि पर उगा सकते हैं।
साथ ही जंगलों के बाहर उगाये जाने वाले बांस के कटाई और परिवहन से भी प्रतिबन्ध हटा दिए गए हैं।
इसलिए बांस की खेती वैज्ञानिक ढंग से की जाय तो अच्छा लाभ मिलने के साथ रोजगार भी मिलेगा। आपके पास जमीन है तो बांस खेती बिजनेस की शुरुआत कर सकते हैं। 3-4 साल बाद आप मोटी कमाई करने में सक्षम हो जायेंगे।
बांस की खेती का बिजनेस कौन कर सकता है?
बांस की खेती करने के इच्छुक किसान भाई या वे सभी व्यक्ति जो सरकारी या प्राइवेट नौकरी कर रहे हैं, पुलिस या फौज में भर्ती हुए हैं, दूसरा कोई बिजनेस कर रहे हैं या जिनको खेती करने में रुचि नहीं है।दूसरी कोई खेती नहीं लगती है। जिनकी खेती जंगली जानवर बर्बाद कर देते हैं। जिनकी जमीन पर बंदर लगते हैं। जो दिहाड़ी मजदूरी करते हैं और जमीन बंजर पड़ा है उन सब के लिए बांस की खेती सर्वोत्तम है।
बांस की खेती का बिजनेस की शुरुआत कैसे करें (How to Start Bamboo farming Business)
पूरे विश्व में बांस की किस्में 1500 सै भी अधिक हैं। बांस की उम्र एक बार लगाने पर 30 साल से 120 साल तक होती है। इसमें अलग अलग किस्म की बांस की उम्र अलग अलग होती हैं। जब बांस में फूल आते हैं तो बांस की उम्र समाप्त हो जाती है। सबसे पहले जो भी बांस लगा रहे हैं वह किस तरह की है और किस प्रजाति की है क्योंकि कुछ प्रजातियां जिनको वैज्ञानिक विधि से की जा सकती है उनका ध्यान रखें कौन कौन सी जाती लेनी है।
बांस की उन्नत किस्म का चयन करें
किसी भी खेती को करने के लिए उसकी उन्नत किस्म का चयन करना अति आवश्यक है। क्योंकि उन्नत किस्म के बिना इसकी अच्छी पैदावार नहीं ले सकते हैं जिससे बिजनेस में अच्छा मुनाफा नहीं होता है। इसी प्रकार बांस खेती करने से पहले बांस की अच्छी किस्म का चयन करना चाहिए।
साथ ही आपके क्षेत्र की मार्किट रिसर्च करना चाहिए क्योंकि अलग-अलग किस्म की बांसों को अलग -अलग कार्य में प्रयोग किया जाता है। मार्किट रिसर्च से आपको यह पता लग जायेगा कि किस किस्म का बांस लगाना चाहिए जिसकी मांग उस क्षेत्र में ज्यादा है। आइये जानते हैं भारत के कुछ उन्नत बांस की किस्म के बारे में।
वैज्ञानिक विधि से खेती की जाने वाली बांस की कुछ प्रजातियाँ निम्न प्रकार हैं –
- Bambusa balcooa -बांस मे सबसे अच्छी प्रजाति है यह ठोस होता है और खोखला पन अंगुठे के साइज के बराबर होता है। यह भवन निर्माण में सीढ़ी बनाने में जहां पर भी मजबूत खी आवश्यक हो वहां इस बांस का प्रयोग किया जाता है। इसकी खासियत यह है कि इसकी कोठी दूर-दूर होती है। बांस सटे नहीं होते हैं। जिससे बांस की कटाई करने पर बांस आसानी से निकल जाता है।
- Bambusa Tulda- यह खोखला बांस होता है इसका प्रयोग हम फर्नीचर बनाने में, बर्तन बनाने में, चटाई और बांस के हैंडीक्राफ्ट बनाने में प्रयोग करते हैं। यह भी घना नहीं होता है। इसको भी आसानी से कटाई कर निकाला जा सकता है।
- Dendrocalamus strictus – प्रजाति है। यह घना होता है। इसका प्रयोग लाठी बनाने तथा जहां पर मजबूती की आवश्यकता हो वहां पर किया जाता है।
- कटंगा बांस – यह काफी मोटा होता है । नीचे तना 3-4 फीट होता है। इसकी ऊंचाई 50 फीट तक होती है। इसकी पेरी (गांठ) पास पास में आती है। इसकी गुदा बहुत ही मजबूत होता है और बांस के अंदर का खोखलापन बहुत ही कम होता है। इस बांस में कांटे होते हैं। यह बांस खेत की मेड़ों पर लगाना उचित होता है।
- भीमा बांस – यह पूर्व भारत में काफी मात्रा में पाया जाता है और उत्तर भारत में कम जगह पर पाया जाता है। कटंगा और भीमा बांस एक जैसे ही हैं। लेकिन भीमा बांस में कांटे नहीं होते हैं। सबसे अधिक तेजी से बढने बांस भीमा ही है। इस बांस को खेत के अंदर लगाना उचित है।
इसके अलावा सात आठ प्रजातियां और हैं जिनको राष्ट्रीय बांस मिशन ने चिन्हित किया है। अपने क्षेत्र में कि प्रकार के बांस की मांग है उसी प्रजाति के बांस की खेती करें। इससे मुनाफा ज्यादा होगा।
जलवायु पर ध्यान दें
बांस एक एसा पौधा है, जो हर परिवेश में तेजी से विकसित हो सकता है अर्थात भारत की जलवायु में बांस खेती किया जा सकता है लेकिन वैज्ञानिक तरीके खेती करने के लिए बांस को नमी, 30 डिग्री तापमान, नाइट्रोजन और आद्रता चाहिए। यदि ये सब मिल जाएँ तो बांस जल्दी – जल्दी बढ़ जाता है।
बांस की खेती के लिए मिट्टी
जिस जमीन में कोई सी भी घास उग जाती है उस जमीन में बांस लगाया जा सकता है। अर्थात पूरे भारत में बांस की खेती किया जा सकता है। वैज्ञानिक विधि से खेती करना है तो बलुई दोमट मिट्टी बांस खेती के लिए सर्वोत्तम होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि बांस खेती के लिए जल निकास वाली भूमि अच्छी होती है।
क्योंकि बरसात में ज्यादा जल भराव से बांस के पौधे प्रभावित होते हैं। पथरीली मिटटी या लाल मिटटी में भी आसानी से बांस उगाया जा सकता है।
खेत को तैयार करें
खेत की गहरी जुताई कर मिट्टी को भुरभुरी करें फिर जमीन समतल करके उचित जल निकासी की व्यवस्था करें। अगर आपकी जमीन नदि के किनारे या पहाडी ढलान पर है तो जितनी जगह पर बांस लगा रहे हैं खर पतवार साफ कर लें। बांस का पौधा पालीथिन के छोटे बैग में आते हैं 30 सेंमी का गढ्ढे खोदकर रखिए। एक एकड़ में 400 पौधे लगाए जा सकते हैं।
गढ्ढे खुदाइ करते समय दूरी का ध्यान रखें आप 10 X10 फीट या 10X12 फीट दूरी पर गड्ढे खोदिए।
बांस की नर्सरी तैयार करें
1 बीज के द्वारा बांस की नर्सरी
बीज सामान्यतः नहीं मिल पाते हैं, क्योकि बांस में 30 साल 40 साल कई- कई प्रजातियों में 100 साल बाद बीज लगते हैं। तो यह बहुत ज्यादा व्यावहारिक नहीं होता है।
2 पारंपरिक विधि से बांस की नर्सरी
16 से 18 महीने का बांस को जमीन से 1 मीटर अर्थात 3 से 4 फीट छोड़कर उसे तिरछा काटें। काटने के बाद उसको नीचे प्रकंध सहित खोद लें। काटने से पहले यह बात ध्यान रखियेगा की जिस बांस को काट रहें हैं उसकी गांठों में 2 से 3 कलियाँ हों। अब इसको खेत में ले जाकर रोपण करें।
3 बांसुरी विधि (नाल रोपण) विधि से बांस की नर्सरी
वैज्ञानिक विधि एकदम आसन है इसे बांसुरी विधि या नाल रोपण विधि कहते हैं। इससे हम नर्सरी तैयार कर सकते हैं। जैसे हम गन्ने की बोआई करते हैं वैसे ही 16 से 18 महीने का बांस को काटकर 1 से डेढ़ फीट का टुकड़ा बनाये।
जैसे गन्ने का टुकड़ा करते हैं। यह ध्यान रखियेगा प्रत्येक टुकड़े में 2 गांठें जरुर होना चाहिए और उन गांठों में कलिका होनी चाहिए । दोनों गांठों की इधर और उधर कम से कम एक इंच जगह छोड़कर, दो गांठों के मध्य में किसी धारदार औजार से एक वर्ग इंच छेद कर लें।
नेप्थलीन एसिटिक एसिड या बोरिक एसिड का करिब 200 पीपीएम का घोल बनाकर भर लें। 200 पीपीएम का मतलब 1 लीटर पानी में 200 मिलीग्राम यदि ग्राम की बात की जाये तो 10 लीटर पानी में 2 ग्राम दवाई को घोलकर बांस के खोखले में भर लें और टेप से चिपका दें।
नर्सरी छायादार स्थान पर होना चाहिए। एक मीटर चौड़ा और जितना चाहें लम्बा नर्सरी बेड तैयार करें। 5 से 6 इंच नीचे उन बांस के टुकड़ों को गाड देना है।
बांस की नर्सरी की देखभाल करें
गाड़ने के बाद धीरे – धीरे सिंचाई करते रहें। 10 से 15 दिन बाद उसमे कल्ले निकलने शुरू हो जायेंगे दो महीने बाद उसमे जड़ निकलने शुरू हो जायेंगें। इस तरह 6 से 7 महीने बाद पौधे तैयार हो जायेंगें। अब पौधे को नीचे से उखाड़कर गांठ को तेज आरी से काटकर पोलीथिन की थैली में मिटटी भरकर उसमे लगा दें और दो से तिन महीने बाद वह पौधा अच्छे से तैयार हो जाएग फिर बरसात के समय में उसको खेत में रोपण कर सकते हैं ।
बांस की रोपाई का समय
बांस रोपने के लिए हमें दूरी का विशेष ध्यान रखना चाहिए कृषि विशेषज्ञों की भी अलग -अलग धारणा है। लाइन से लाइन की दूरी 12 फीट और पौधे से पौधे की दूरी 8 फीट इस तरह बांस रोपने पर एक एकड़ में 400 पौधे आयेंगें।
कुछ कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पौधे से पौधे की दूरी 10 फीट और लाइन से लाइन की दूरी10 फीट रखना उचित है। आप अपनी इच्छानुसार लगा सकते हैं। भारत सरकार कहती है कि या तो आप 12X8 फीट दूरी पर रोपण करें या 10X10 फीट की दूरी पर रोपण कीजिये।
बांस के लिए खाद प्रबंधन
बांस के लिए भोजन प्रबंधन करना कठीन कार्य नहीं है। वैसे बांस के लिए खाद की जरूरत तो नहीं पडती फिर भी जमीन उपजाऊ नहीं है तो इस प्रकार खाद का प्रबंधन करें। अगर पहाडी जमीन पर बांस लगा रहे हैं तो महिने में एक बार कंपोस्ट खाद डाल दें।अगर आप समतल जमीन पर बांस की खेती कर रहे हैं तो बांस के बीच में अंतर्वर्ती फसल में जो खाद डाल रहे हैं वही खाद बांस में भी डालें।
रासायनिक खाद की बात करें तो इसमें डीएपी और युरिया साथ में थोडा पोटास भी दे सकते हैं इससे बांस चार गुना तेजी से बढता है। रासायनिक खाद की मात्रा एक पौधे पर इस प्रकार देनि होगी नाईट्रोजन 2ग्राम, फास्फोरस 0.5 ग्राम और पोटास 1 ग्राम। इस तरह बांस में रासायनिक खाद डालने पर बांस चार गुना तेजी से बढेगा। बरसात के सीजन में आसमान में बिजली चमती है बादल गरजते हैं उस समय प्राकृतिक रुप से इसको नाईट्रोजन अधिक मिलता है। उस समय बांस तेजी से बढता है।
2 साल बाद बांस को खाद देने की आवश्यकता नहीं है स्वयं खाद का निर्माण कर लेता है। इसके पत्ते अधिक मात्रा में झडते हैं बर्षा का जल इन पत्तों पर गिरती है तो नीचे की परत सडने लगता है और देशी केंचुए अधिक मात्रा में खुद ब खुद सडे पत्तों को खाने लगते हैं बांस के लिए केंचुआ खाद बन जाता हैं। बांस के लिए आवश्यक पानी प्रबंधन अच्छी तरह करनी चाहिए।
बांस के पौधों की सिंचाई व निराई-गुड़ाई कक जज्ज
बांस के पौधे रोपने से पहले जमीन तैयार करते समय खरपतवार ही हटाना है इसके बाद बांस को किसी भी प्रकार की निरे गुड़ाई की आवश्यकता नहीं पड़ती है। जून में पौधा रोपण किया जाता है। जुलाई,अगस्त और सितंबर तक बरसात के पानी से स्वत: सिंचाई हो जाएगी।
उसके बाद 1 साल तक बांस के पौधों को सिचाई की आवश्यकता पड़ती है क्योकि बांस के पौधे में अच्छे से जड़ अर्थात अंग्रेजी में जिसको रायजोम बोलते हैं उसको बनने में एक साल का समय लगता है। जब राइजोम बन जाता है उसके बाद बांस का पौधा नहीं मरता है।
बांस की सिंचाई के लिए ड्रिप इरीगेशन इंस्टाल करके सिंचाई करना आवश्यक है ड्रिप एक एक फीट की दुरी पर होनी चाहिए ताकि जिस लाइन में बांस लगाये हैं उस लाइन का पूरा बेड में नमी हो। बांस के पौधे को पानी इस प्रकार से देना है
लगाने के बाद शुरू के 15 दिन तक 3 -3 दिन बाद पानी देना है। फिर अगले एक महीने के लिए प्रत्येक हफ्ते में एक बार फिर प्रत्येक 10 दिन बाद पानी देना है। पानी का प्रबंधन जमीन के हिसाब से करना है कोई जमीं ज्यादा पानी सोखती है तो कोई नहीं सोखती है अन्य खेती की तरह ही बांस में भी सिचाई किया जाता है।
बांस की खेती के बिजनेस में कर्मचारी (Bamboo Farming Business Staff)
कर्मचारी रखना है या नहीं यह किसान पर निर्भर करता है। अगर घर में आपलोग 3 – 4 लोग हैं तो आप स्वयं ही गड्ढ़े खोदकर तैयार रख कर रोपाई कर सकते हैं । यदि आप अन्य नौकरी पेशे वाले हैं तो बांस की रोपाई करते समय तक 3 – 4 लोगों को दिहाड़ी में रख लीजिये उसके बाद 1 व्यक्ति को पूरे साल भर के लिए नौकरी में रख लीजिये।
पानी सिंचाई करने के लिए उसके बाद कोई भी कर्मचारी रखने की जरुरत नहीं है। फिर भी आप बांस की चौकीदारी के लिए किसी व्यक्ति को रखना चाहें तो यह आपकी इच्छा है।
बांस की खेती के बिजनेस में लागत (Bamboo Farming Business Investment)
बांस खेती में लगत की बात की जाये तो इसमें ज्यादा खर्चा नहीं लगता है। पौधे की कीमत गड्ढे की खुदाई का खर्चा है शुरूआती समय में गोबर और रासायनिक खाद का खर्चा आता है। इस प्रकार 240 से 250 रुपये प्रति पौधा खर्चा आता है। एक हेक्टेयर में 12 हजार रूपए का खर्चा आता है। यह लागत प्रारंभिक अवस्था में ही आती है इसके बाद कोई भी लगत नहीं आती है। इसका उत्पादन 30 – 40 साल तक लिया जा सकता है जब तक इसमें फूल न आये। फूल और बीज आने के बाद में पौधा सूख जाता है।
बांस की खेती के बिजनेस में मशीनरी एवं उपकरण (Bamboo Farming Machinery and Equipment)
बांस की खेती के लिए कम जमीन जुताई के लिए Mini power tiller और अधिक जमीन की जुताई के लिए ट्रेक्टर की आवश्यकता होती है। गढ्ढे खोदने के लिए गेंती, फावडा या मशीन से गढ्ढा खोदने के लिए Earth Auger machine की आवश्यकता पडती है। बांस कटाई के लिए Chainsaw की जरूरत पडती है।
बांस की खेती के बिजनेस की मार्केटिंग (Bamboo Farming Business Marketing)
बांस की मार्केटिंग आप अपने शहर के नजदीक के लकडी मंडी जाएं। या फेसबुक पर एड चलाएं, युटुब में विडियो बनाएं या अन्य सोशल मीडिया पर आपके खेती की जानकारी दें। पंपलेट छापकर शहर में या गाउं में चिपका सकते हैं।
बांस की कटिंग (Bamboo Cutting)
बांस की रोपण करने के बाद 4 से 5 साल में इसका उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। डेढ़ साल के पौधे का नीचे जड में रा्इझोम बनता है। रा्इझोम वाला पौधा रोपें हैं तो 4 साल बाद कटाई करनी है। बिना रा्इझोम वाला पौधा रोपण किया है तो 5 साल बाद इसकी कटाई करने लायक होती है।
कटाई करते समय कुछ सावधानियों का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। बांस की कोठी में बहुत सारे जीव जंतुओं का वास होता है। बांस की कटाई करते समय तेज आवाज या शोर करना पड़ता है इससे बांस के कोठी में बैठे खतरनाक जीव जंतु भाग जाते हैं। उसके बाद कटाई एक तरफ से करें और आराम से करें जिससे बांस आराम से निकल जाये।
बांस की खेती के बिजनेस में लाइसेंस और पंजीकरण (License and Registration)
बांस को किसी दुसरे राज्य में ले जाकर बेचने के लिए ट्रेडर्स का लाइसेंस लेना जरुरी है, अगर किसान अपनी लोकल मार्किट में बांस बेचता है तो किसी भी प्रकार की लाइसेंस लेने की जरुरत नहीं है।
किसान अपनी खेती योग्य जमीन पर बांस की खेती कर सकते हैं। सरकार से अनुदान लेने के लिए केवल राष्ट्रीय बांस मिशन में पंजीकरण कराने की आवश्यकता है।
बांस की खेती के बिजनेस में फायदा (Bamboo Farming Business Profit)
सही कोठी और कल्म हैं तो एक पौधे से प्रत्येक साल 6 से लेकर 10 बांस उत्पादन होता है। एक हेक्टेयर से प्रत्येक वर्ष 1000 बांस प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक बांस का 100 रुपये मूल्य पर बेचें तो एक वर्ष में एक लाख रुपये प्रति हेक्टेयर कमा सकते हैं।
एक एकड में 1 से 5 लाख रुपए कमाया जा सकता है। बांस आपको खुद नहीं काटने हैं। बांस लेने वाले व्यक्ति से टेन्डर साईन करना है पहले अडवांस पैसे मागकर बांस कटवाना
बांस की खेती के लिए सब्सिडी
बांस की खेती के लिए राष्ट्रीय बांस मिशन सब्सिडी देती है।राष्ट्रीय बांस मिशन केंद्र सरकार की योजना है जो हर राज्य में बांस की खेती के लिए चलाई गई है।
- बांस लगाने से लेकर इसकी कटाई तक 4 साल का समय लगता है।
- पौधा लगाने से लेकर कटाई तक एक पौधे पर सम्पूर्ण खर्च 240 रूपए का आता है।
- राष्ट्रीय बांस मिशन के अंतर्गत बांस लगाने वाले किसान को जितना भी पौधा लगाएगा उसे 120 रूपए सरकार अनुदान देगी और 120 रूपए स्वयं किसान खर्च करेगा।
- पहले साल एक पौधे पर 60 रूपए मिलेंगे, दूसरे साल 30 रूपए और फिर तीसरे साल 30 रुपये सरकार किसान के खाते में जमा कराएगी।
- किसान बांस का पौधा किसी भी जगह कंपनी या किसी भी नर्सरी से ले सकता है।
- राष्ट्रीय बांस मिशन में आवेदन देने के पश्चात किसान के क्षेत्र का वन विभाग के कर्मचारी आकर देखते हैं। यदि बांस पाए गए तो 90 दिन बाद कितने जीवित हैं उसके हिसाब से पंचनामा बनेगा फिर किसान के खाते में एक पौधे पर 60 रुपये अनुदान राशी जमा करा दी जाएगी।
- दूसरे साल फिर से किसान के खेत का निरिक्षण करने के बाद जितने भी बांस के पौधे जीवित पाए जाते है उस हिसाब से एक पौधे पर 30 रूपए अनुदान किसान के खाते में जमा होगी।
- इसी प्रकार से तीसरे साल का अनुदान राशी भी किसान के खाते में सरकार जमा करेगी।
राष्ट्रीय बांस मिशन की अधिक जानकारी के लिए National Bamboo Mission की वेबसाइट पर जाएँ।
Q – बांस खेती के लिए कौनसा जमीन उपयुक्त है?
An s -जिस जमीन में कोई सी भी घास उग जाती है उस जमीन में बांस लगाया जा सकता है। अर्थात पूरे भारत में बांस की खेती किया जा सकता है। वैज्ञानिक तरीके से जाएँ तो बांस के लिए नमी, 30 डिग्री तापमान, नाइट्रोजन और आद्रता चाहिए।
Q – भारत में कौन सा राज्य बांस का उत्पादन करता है?
Ans- असम भारत का सबसे ज्यादा बांस उत्पादक राज्य है। इसके बाद उत्तराखण्ड, झारखण्ड और मध्यप्रदेश राज्य हैं।
Q – भारत में बांस कहाँ उगता है?
Ans – अत्यधिक बर्फ पड़ने वाली जगह और रेगिस्तान को छोड़कर बांस भारत में हर जगह उगता है।
Q – बांस उगाने में कितना समय लगता है?
Ans – बांस का पौधा बेचने लायक होने के लिए चार साल का समय लगता है।
Leave a Reply