काली हल्दी की खेती करके कमाई करें, कैसे करें, जानकारी, कब की जाती है, समय, कैसे होती हैं, करने का तरीका, लाभ, लागत [Black turmeric Farming Profit in Hindi] (kali haldi ki Kheti, Cultivation, Kaise Kare, kab ki jaati hai, Time, Tarika, Investment, Profit, Marketing)
प्रस्तावना
काली हल्दी की खेती भारतीय कृषि उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह एक प्राकृतिक औषधीय पौधा है जिसके कई आयुर्वेदिक और वैज्ञानिक गुण हैं। काली हल्दी की फसल को विशेष रूप से औषधीय खेती के रूप में उगाते हैं। इस लेख में हम काली हल्दी की खेती के लिए विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे जिससे आपको काली हल्दी खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी ।
काली हल्दी के बारे में जानकारी
पहले हम काली हल्दी के बारे में थोड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं। काली हल्दी के पौधे केले के पौध जैसी दिखती है। इसका पौधा 30 से 60 सेमी तक ऊँचा होता है, पत्तियां गोलाकार चौड़ी तथा मध्य में नीले बैगनी रंग की शिरा बनी होती है।
यह पौधा अपनी वृद्धि पत्तियों के रूप में करता है तथा इसकी पत्तियां केलों के पत्तों के आकार की होती है। काली हल्दी को नरकचूर भी कहते हैं। अंग्रेजी में “Black Turmeric” कहा जाता है, काली हल्दी को रोगनाशक तथा सौन्दर्य प्रसाधन में सबसे अधिक प्रयोग किया जाता है।
इसका वैज्ञानिक नाम “Curcuma Caesia” है। इसके स्वास्थ्य लाभ और अच्छे मूल्य पर बिक्री होने के कारण, इसे मुख्य रूप से मध्य भारत और दक्षिण भारत के किसान भाई बड़ी मात्र में खेती करते हैं।
काली हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त मिटटी तथा जलवायु
काली हल्दी की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी का चयन और मौसम तथा जलवायु का विशेष ध्यान रखना महत्वपूर्ण होता है। काली हल्दी की खेती के लिए निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान देना चाहिए:
1- मिटटी का चयन : काली हल्दी की खेती किसी भी प्रकार की उपजाऊ भूमि में कर सकते हैं, लेकिन उस भूमि में जल भराव नहीं होना चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि जिस भूमि में भी काली हल्दी की खेती कर रहे हैं उस भूमि में मिटटी का P.H. मान 5 से 7 के मध्य होना चाहिए। जिससे काली हल्दी के पौधों को उचित पोषण और पानी मिल सके।
2- जलवायु तथा मौसम : काली हल्दी की खेती के लिए सही मौसम तथा जलवायु बहुत महत्वपूर्ण है। काली हल्दी की अच्छी फसल के लिए समशीतोष्ण और नम जलवायु अति महत्वपूर्ण है।
काली हल्दी के पौधों की अच्छे से वृद्धि विकास के लिए सामान्य तापमान की आवश्यकता पड़ती है। इसके कंदों को अंकुरित होने के लिए 20 से 25 तापमान की आवश्यकता होती है।
वही पौधों के वृद्धि विकास के लिए 10 डिग्री से 38 डिग्री तापमान की जरुरत होती है। अधिक गर्म जलवायु में इसके पौधे झुलस जाते हैं जिससे काली हल्दी की वृद्धि पुर्णतः रुक जाती है। शरद ऋतू और व्रर्षा ऋतू में अच्छे से वृद्धि के लिए मौसम अनुकूल माना जाता है।
काली हल्दी के बीज की खरीद
अगला कदम होता है काली हल्दी के बीजों को खरीदना। आप स्थानीय कृषि उपज बाजार में या ऑनलाइन बीज विक्रेता से अच्छी क्वालिटी के बीज खरीद सकते हैं। यदि संभव हो तो उन किसान या बीज विक्रेता से बीज लें जो काली हल्दी की खेती में विशेषज्ञता रखते हैं और वे प्रमाणित बीज दे सकें।
काली हल्दी की खेती के लिए खेत की तैयारी
खेत की जुताई :काली हल्दी की खेती के लिए खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए। सबसे पहले गहरी जुताई करें जिससे पुरानी फसल के सारे अवशेष नष्ट हो जाएँ। इसके बाद मिटटी को एसे ही कुछ समय के लिए छोड़ दीजिये ताकि खेत की मिटटी में अच्छे से धुप लगे और मिटटी में होने वाले हानिकारक जीवाणु नष्ट हो जाएँ।
इसके बाद एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेत में 16 -17 गाड़ी गोबर खाद छिड़ककर दो- तीन बार अच्छे से जोत लेना चाहिए। उसके बाद पानी की सिंचाई कीजिये। सिंचाई के बाद ऊपर की परत सूखने पर रोटा वेटर से अच्छे से जुताई करें जिससे मिटटी भुरभुरी हो जाये। फिर पाटा लगारकर खेत को समतल कीजिये जिससे खेत में पानी न जमें।
खाद प्रबंधन- काली हल्दी औषधीय पौधा है इसलिए इसकी खेती करते वक्त किसी भी रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं किया जाता है, इसके लिए केवल जैविक खाद का ही प्रयोग करे।
एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए 16 – 17 गाड़ी जैविक गोबर खाद की आवश्यकता पड़ती है लेकिन जो किसान भाई बहन रासायनिक खाद का प्रयोग करना चाहते हैं खेत की आखिरी जुताई के समय एक हेक्टेयर क्षेत्रफल के खेत में 50 किलोग्राम एन. पी. के. की मात्रा छिड़क देनी चाहिए।
इसे भी पढ़िए -
काली हल्दी की रोपाई का सही समय तथा तरीका
काली हल्दी की रोपाई के दो तरीके निम्नलिखित हैं –
1 – कंद के रूप में – कंदों के रूप में काली हल्दी रोपने के लिए एक हेक्टेयर खेत में 20 कुंटल कंदों की आवश्यकता पड़ती है। कंदों की रोपाई से पहले उनको उपचार करना आवश्यक है इसके लिए कंदों को बाविस्टीन के घोल में डूबा लेना चाहिए।
कंदों को रोपाई से पूर्व इस बात का ध्यान रखें की कंद एकदम स्वस्थ हो। इसके बाद कंदों को खेत में रोपना चाहिए।
2 पौधों के द्वारा :- काली हल्दी के पौधों को रोपने से पूर्व खेत में मेड बनाते हैं। प्रत्येक मेड से मेड की दूरी एक से डेढ़ फीट रखना चाहिए तथा पौध से पौध की दुरी 30 सेमी रखना चाहिए।
3 रोपाई का सही समय काली हल्दी की रोपाई जुलाई, अगस्त में अर्थात वर्षा ऋतू में किया जाता है। इस समय पौधों के वृद्धि के लिए उपयुक्त वातावरण होता है।
काली हल्दी की सिंचाई
पौध रोपाई के तुरंत बाद सिंचाई कर लेनी चाहिए। काली हल्दी की रोपाई बरसात के समय में होने के कारण इसकी फसल के लिए वर्षा का जल ही पर्याप्त है।
हल्दी की खेती लम्बे समय के पश्चात निकलती है इसलिए बरसात समाप्त हो जाने के बाद 2 बार सिंचाई कर लेनी चाहिए। ध्यान रखियेगा काली हल्दी के पौधों में अधिक पानी की आवश्यकता नही होती है, आवश्यकता अनुसार पानी देना चाहिए।
काली हल्दी की निराई गुडाई (खरपतवार नियंत्रण )
काली हल्दी की फसल में उग आने वाली खरपतवार के नियंत्रण के लिए जैविक विधि अपनानी चाहिए अर्थात हाथ से ही इसकी निराई गुड़ाई करनी चाहिए।
रासायनिक विधि से खरपतवार नियंत्रण नहीं करना चाहिए क्योंकि काली हल्दी एक औषधीय पौधा है रासायनिक तरीका अपनाने पर इसमें प्राकृतिक रूप से मौजूद औषधीय गुण समाप्त हो जाते हैं। इसकी गुड़ाई इस प्रकार से करनी चाहिए
पहली गुड़ाई – काली हल्दी के पौधे रोपने के 25 से 30 दिन बाद
दूसरी गुड़ाई- 20 दिन बाद इसी प्रकार तीसरी और चौथी गुड़ाई भी 20 दिन के अन्तराल पर करनी चाहिए।
इसके अवाला जब भी खेत में खर प्रतवार दिखाई दे तुरंत खर पतवार को खेत से निकल देना चाहिए।
काली हल्दी में लगने वाले रोग तथा उनकी रोकथाम
वैसे तो काली हल्दी में किसी भी प्रकार का रोग नहीं लगता है फिर भी यदि कोई कीट पतंग काली हल्दी के पौधों को नुकसान पहुंचा रहे हैं तो , इसकी रोकथाम के लिए जैविक कीटनाशक या बॉरडाक्स का छिडकाव करना चाहिए।
तैयार काली हल्दी की फसल की खुदाई का समय
काली हल्दी की फसल रोपाई के 8 माह बाद तैयार हो जाती है। काली हल्दी के कंदों को जनवरी से मार्च माह के मध्य अर्थात सर्दी के मौसम के अंत में पूरी तरह से खुदाई कर खेत से निकाल लेना चाहिए।
काली हल्दी की खुदाई के पश्चात कंदों का बाहरी छिलका निकाल कर इनकी सफाई कर लेनी चाहिये फिर कंदों को छायादार स्थान में सुखाकर बाजार में बेचने के लिए भेज देना चाहिए।
काली हल्दी का उत्पादन
काली हल्दी का उत्पादन क्षेत्र, मौसम , मिटटी किसान की देख रेख आदि विभिन्न तत्वों पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर प्रति हेक्टेयर काली हल्दी 10 से 15 टन उत्पादन होती है। एक एकड़ का हिसाब करें तो 4 से 6 टन का उत्पादन होता है।
काली हल्दी की कीमत
काली हल्दी की कीमत विभिन्न ब्रांडों और वेबसाइट पर भिन्न- भिन्न होती है। सामान्य तौर पर भारतीय बाजार में इसकी कीमत 600 से लेकर 1200 तक ही होती है।
कभी कभार भाव गिर जाने पंर इसकी कीमत 400 रूपए तक भी आ जाती है। ऑफलाइन की तुलना में ऑनलाइन में इसकी कीमत अधिक होती है।
काली हल्दी कहाँ बेंचें?
काली हल्दी को विभिन्न जगहों पर बेचा जा सकता है। आजकल ऑनलाइन का जमाना है बहुत से लोग ऑनलाइन भी बेचते हैं।
ऑनलाइन – विभिन्न ई- कॉमर्स Websits पर काली हल्दी को आप खरीद बेच सकते हैं। ऑनलाइन काली हल्दी की काफी डिमांड होती है। इसके लिए Amazon की Website में जाकर चेक करें।
ऑफलाइन – काली हल्दी को अपने नजदीकी कृषि मंडी, आयुर्वेदिक दुकान, औषधि निर्माण करने वाली कंपनियों को बेच सकते हैं।
काली हल्दी की खेती में लागत
काली हल्दी की खेती में लागत आपके जमीन के आकर पर निर्भर करता है या आप जितनी जगह पर खेती करना चाहते हैं उसी हिसाब से बीज, खाद, लेबर आदि का खर्चा भी घट -बढ़ सकती है। हमने नीचे एक एकड़ जमीन में काली हल्दी की खेती की लागत को बताया है । आपके पास जितना एकड़ जमीन है इस लगत का उने से गुणा कर लीजियेगा
- एक एकड़ जमीन में 9 से 11 कुंटल बीज लगता है। औसत 10 कुंटल बीज लगेंगें।
- एक किलो काली हल्दी का बीज 700 रुपये है।
- 10 कुंटल = 1000 किलो बीज का मूल्य 1000X700 = 700,000 रुपये हुए। यह खर्च राज्यों और समय के हिसाब से बदलता रहता है।
- खेत की तैयारी का खर्च 2500 रुपये
- काली हल्दी औषधीय पौधा है इसलिए देशी गोबर की खाद डालनी पड़ती है जिसका मूल्य 4,000 रुपये है।
- जैविक कीटनाशक का खर्च 2500 रुपये।
- बीज बोआई के समय लेबर का खर्च 10 हजार रुपये।
- तीन बार निराई गुड़ाई के समय 30 हजार लेबर का खर्चा।
- इन सब खर्चों को जोड़ने पर एक एकड़ काली हल्दी की खेती के लिए 749,000 रुपये।
काली हल्दी की खेती में सबसे ज्यादा खर्चा बीज का आता है इसलिए किसान भाई – बहन सबसे पहले कम जमीन पर कम बीज खरीदकर खेती करें।
फिर जब खेती से काली हल्दी अधिक मात्र में निकलेगी तो इसे बीज के रूप में प्रयोग करें। फिर धीरे – धीरे अधिक मात्र में काली हल्दी की खेती करें।
काली हल्दी की फसल से आमदनी
हम यहाँ एक एकड़ का हिसाब करते हैं। एक एकड़ में सामान्य तौर पर 4 से 6 टन काली हल्दी उत्पादन होती है। इसको सुखाने के बाद 15 से 20 कुंटल काली हल्दी प्राप्त होती है। हम औसततन 18 कुंटल मान लेते हैं। 18X100= 1800किलोग्राम।
कुंटल | किलोग्राम | प्रति केजी कीमत | रुपये |
18X100 | 1,800 | 1,800 X 700 | 1,260,000 |
हालाँकि यह अनुमान मात्र है वास्तविक कमी विभिन्न कारकों पर निर्भर करता है जैसे – उत्पादन, बाजार भाव, खेती में निवेश, फसल की देखभाल और श्रमिकों की मजदूरी आदि।
काली हल्दी की खेती से मुनाफा
एक एकड़ काली हल्दी की खेती से मुनाफा
- आमदनी – लागत = मुनाफा
- 1,260,000 – 749,000 = 511,000
अतः एक एकड़ जमीन में काली हल्दी की फसल उगाने पर पांच लाख ग्यारह हजार रुपये का मुनाफा होता है।
काली हल्दी की खेती के लिए आवश्यक लाइसेंस एवं पंजीकरण
काली हल्दी को अपनी लोकल बाजार या किसी कंपनी या दुकानदार को बेच रहें हैं जो आपका माल आपके घर से या नजदीक से उठाकर ले जाये तो एसे में किसी भी प्रकार की लाइसेंस की जरुरत नहीं पड़ती है।
कुछ किसान एसे होते हैं अपनी खेती को किसी दूसरें राज्य में बेचते हैं। उनके पास ट्रेडर्स का लाइसेंस होता है। अगर आप भी अपनी कृषि उपज को किसी दूसरे या तीसरे राज्यों में बेचना चाहते हैं तो, ऐसे किसान भाई – बहन अपना एक ट्रेडर्स का लाइसेंस बनवा लें।
यदि आप काली हल्दी ऑनलाइन ई-कामर्श वेबसाइट पर बेचना चाहते हैं तो एसे किसान भाई – बहन अपना GST रजिस्ट्रेशन करवा लें।
काली हल्दी की खेती से लाभ
काली हल्दी की खेती से कई लाभ होते हैं, जिन लाभों से किसान भाई बहन काली हल्दी की खेती के लिए आकर्षित होते हैं। यहां हम कुछ महत्वपूर्ण लाभों के बारे में बताएँगे।
1. अच्छा मूल्य: काली हल्दी की खेती का मूल्य बहुत अच्छा होता है। इसकी मांग दिनों दिन बढ़ रही है और इसे फार्मास्यूटिकल, खाद्य उद्योग, और कॉस्मेटिक उद्योग में अत्यधिक रूप से उपयोग किया जाता है।
2. स्वास्थ्य लाभ: काली हल्दी का उपयोग स्वास्थ्य और आरोग्य में लाभदायक होता है। इसमें कई प्राकृतिक गुण होते हैं जो प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने, शरीर की ऊर्जा को बढ़ाने, और रोगों से लडने में सहायता करता है।
3. रोजगार – काली हल्दी की खेती ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है और किसानों का आर्थिक विकास करता है। कृषि उत्पादकता और आय को वृद्धि करने में लाभदायक है।
समापन
काली हल्दी की खेती एक लाभदायक कृषि बिजनेस है। जो किसानों के लिए व्यवसायिक और स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है। इस लेख में, हमने काली हल्दी की खेती के बारे में विभिन्न महत्वपूर्ण चरणों के बारे में चर्चा की है और इसके लाभों को भी उजागर किया है। यदि आप एक किसान हैं या कृषि क्षेत्र में रुचि रखते हैं, तो काली हल्दी की खेती आपके लिए एक उत्कृष्ट विकल्प हो सकती है।
FAQ (पूछे जाने वाले प्रश्न)
Q- 1 किलो काली हल्दी की कीमत क्या है?
Ans- भारतीय बाजार में 1 किलो काली हल्दी का मूल्य 800 रुपये से लेकर 1200 रुपये तक है।
Q- भारत में काली हल्दी कहाँ पाई जाती है?
Ans – भारत में काली हल्दी अधिक मात्र में मध्य भारत और दक्षिण भारत के किसान भाई खेती करते हैं।
Q- काली हल्दी कौन से महीने में लगाई जाती है?
Ans – काली हल्दी की रोपाई जून अंतिम और जुलाई के पहले हफ्ते में किया जाता है।
Q – काली हल्दी इतनी महंगी क्यों है?
Ans – काली हल्दी एक औषधीय पौधा है इसका प्रयोग विभिन्न प्रकार की औषधि बनाने में की जाती है इसलिए काली हल्दी महँगी होती है।
Leave a Reply